नए राज खुलेंगे:पनामा पेपर्स लीक के 5 साल साल बाद अब पेंडोरा पेपर्स सामने आए, कुछ अमीरों की काली कमाई के राज खुलेंगे
2016 में इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने पनामा पेपर्स लीक किए थे। तब दुनिया को पता लगा था कि पनामा जैसे टैक्स हेवन्स देशों में अमीर लोग किस तरह अपनी काली कमाई इन्वेस्ट करते हैं। अब पनामा को ही लेकर पेंडोरा पेपर्स जांच के दस्तावेज सामने आने लगे हैं। इन्हें भी ICIJ ने तैयार किया है। माना जा रहा है कि एक या दो दिन में पत्रकारों की पूरी जांच रिपोर्ट सामने आ जाएगी। इसमें कुछ चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं।
रविवार देर रात सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पेंडोरा पेपर्स में दुनिया के करीब 100 अरबपतियों के नाम हैं। इसके अलावा भारत, रूस, पाकिस्तान, ब्रिटेन और मैक्सिको के कुछ सेलेब्रिटीज के नाम भी इसमें हैं। इन पर शेल कंपनियां बनाने के भी आरोप हैं। जॉर्डन के किंग, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के अलावा यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति के नाम भी इन जारी दस्तावेजों में बताए गए हैं। हालांकि, अब तक इनकी विस्तार से जानकारी सामने नहीं आई है। ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ में जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 300 भारतीयों के नाम इन दस्तावेजों में हैं।
पनामा की साख पर फिर आंच
मध्य अमेरिकी देश पनामा को टैक्स हेवन्स कंट्रीज में गिना जाता है। यह अमीर लोग पैसे देकर नागरिकता हासिल कर सकते हैं। इन्वेस्टमेंट के नियम और कानून बेहद आसान हैं। 2016 में पनामा पेपर्स लीक सामने आया था। इसे भी ICIJ ने ही लीक किया था। भारत समेत दुनिया के कई देशों के अमीरों के नाम सामने आए थे। अब पेंडोरा पेपर्स सामने आने वाले हैं।
लेटर जारी
पनामा सरकार को डर है कि पेंडोरा पेपर्स की वजह से दुनिया में उसकी छवि को फिर गहरा धक्का पहुंच सकता है। यही वजह है कि उसने एक लीगल फर्म के जरिए ICIJ को यह पेपर जारी न करने के लिए ऑफिशियल लेटर भी जारी किया है। लेटर में कहा गया है- इन ताजा दस्तावेजों का जारी होना पनामा के बारे में फिर गलत धारणा बनाएगा। इससे पनामा और इसके लोगों को नुकसान होगा।
कैसे हुई ये जांच
ICIJ ने सोशल मीडिया पर बताया- हम रविवार को अब तक की सबसे बड़ी आर्थिक जांच से संबंधित दस्तावेज जारी करेंगे। इसके लिए दुनियाभर में 12 करोड़ दस्तावेजों की जांच की गई है। 117 देशों के 600 जर्नलिस्ट्स इन्वेस्टिगेशन में शामिल हुए।
पनामा सरकार का कहना है कि उसने निवेश से संबंधित कई सुधार किए हैं, लेकिन ये भी सच है कि यूरोपीय यूनियन ने अब भी पनामा को टैक्स हेवन देशों की लिस्ट में रखा है। पनामा सरकार कहती है कि 5 साल में उसने 3 लाख 95 हजार कंपनियों के रजिस्ट्रेशन सस्पेंड किए हैं। पनामा के बारे में कहा जाता है कि यह फर्जी कंपनियां (शेल कंपनियां) बनाई जाती हैं और इनका इस्तेमाल संबंधित देशों में टैक्स चोरी के लिए किया जाता है।
क्या था पनामा पेपर्स लीक स्कैंडल
यह विदेशी लीक की जांच और उससे जुड़ी लगभग 3.2 लाख विदेशी कंपनियों और ट्रस्टों के पीछे के लोगों का पता लगाने की कोशिश का हिस्सा थी। पनामा की लॉ फर्म मोसेक फोंसेका के डेटा सेंटर से जुटाई गई इन गोपनीय सूचनाओं की चर्चा ‘पनामा पेपर्स’ के रूप में हुई थी। मोसेक फोंसेका की 1.15 करोड़ से ज्यादा फाइलें का डेटा लीक हुआ था। तब 1977 से 2015 के अंत तक की जानकारी दी गई थी।